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Durga Devi Kavach | दुर्गा देवी कवच Hindi PDF

September 12, 2022 by rajasinghmurugesan Leave a Comment

Download Durga Devi Kavach Hindi PDF

You can download the Durga Devi Kavach Hindi PDF for free using the direct download link given at the bottom of this article.

File nameDurga Devi Kavach Hindi PDF
No. of Pages10  
File size853 KB  
Date AddedSep 12, 2022  
CategoryReligion  
LanguageHindi  
Source/CreditsDrive Files        

Durga Devi Kavach Overview

Whoever practices Maa Durga Kavach Mantra is blessed with Maa Durga, all the obstacles in his life are removed, thereby giving overall success and prosperity to the practitioner. Sri Durga is a unifying symbol of all divine forces and is said to have been created when Mahishasura threatened the existence of humans and deities. Since time immemorial, the goddess is worshiped as the supreme power of the Supreme Being and is mentioned in several Hindu scriptures – the Vajasaneyi Samhita, the Yajur Veda, and the Taittiriya Brahmana.

Once sage Markandeya said to Brahmaji, please tell me any such means which is going to protect human beings in every way. One such mantra which is secret in this world and which you have never disclosed to anyone till date. Brahmaji told them that there is a very secret mantra, which is beneficial to all beings. Such a virtuous secret mantra is the armor of Goddess Durga.

ऋषि मार्कंड़य ने पूछा जभी !
दया करके ब्रह्माजी बोले तभी !!
के जो गुप्त मंत्र है संसार में !
हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में !!
हर इक का कर सकता जो उपकार है !
जिसे जपने से बेडा ही पार है !!
पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का !
जो हर काम पूरे करे सवाल का !!
सुनो मार्कंड़य मैं समझाता हूँ !
मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ !!
कवच की मैं सुन्दर चोपाई बना !
जो अत्यंत हैं गुप्त देयुं बता !!
नव दुर्गा का कवच यह, पढे जो मन चित लाये !
उस पे किसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
पहली शैलपुत्री कहलावे !
दूसरी ब्रह्मचरिणी मन भावे !!
तीसरी चंद्रघंटा शुभ नाम !
चौथी कुश्मांड़ा सुखधाम !!
पांचवी देवी अस्कंद माता !
छटी कात्यायनी विख्याता !!
सातवी कालरात्रि महामाया !
आठवी महागौरी जग जाया !!
नौवी सिद्धिरात्रि जग जाने !
नव दुर्गा के नाम बखाने !!
महासंकट में बन में रण में !
रुप होई उपजे निज तन में !!
महाविपत्ति में व्योवहार में !
मान चाहे जो राज दरबार में !!
शक्ति कवच को सुने सुनाये !
मन कामना सिद्धी नर पाए !!
चामुंडा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार !
बैल चढी महेश्वरी, हाथ लिए हथियार !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
हंस सवारी वारही की !
मोर चढी दुर्गा कुमारी !!
लक्ष्मी देवी कमल असीना !
ब्रह्मी हंस चढी ले वीणा !!
ईश्वरी सदा बैल सवारी !
भक्तन की करती रखवारी !!
शंख चक्र शक्ति त्रिशुला !
हल मूसल कर कमल के फ़ूला !!
दैत्य नाश करने के कारन !
रुप अनेक किन्हें धारण !!
बार बार मैं सीस नवाऊं !
जगदम्बे के गुण को गाऊँ !!
कष्ट निवारण बलशाली माँ !
दुष्ट संहारण महाकाली माँ !!
कोटी कोटी माता प्रणाम !
पूरण की जो मेरे काम !!
दया करो बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ !
चमन की रक्षा को सदा, सिंह चढी माँ आओ !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
अग्नि से अग्नि देवता !
पूरब दिशा में येंदरी !!
दक्षिण में वाराही मेरी !
नैविधी में खडग धारिणी !!
वायु से माँ मृग वाहिनी !
पश्चिम में देवी वारुणी !!
उत्तर में माँ कौमारी जी!
ईशान में शूल धारिणी !!
ब्रहामानी माता अर्श पर !
माँ वैष्णवी इस फर्श पर !!
चामुंडा दसों दिशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो !
संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!
सन्मुख मेरे देवी जया !
पाछे हो माता विजैया !!
अजीता खड़ी बाएं मेरे !
अपराजिता दायें मेरे !!
नवज्योतिनी माँ शिवांगी !
माँ उमा देवी सिर की ही !!
मालाधारी ललाट की, और भ्रुकुटी कि यशर्वथिनी !
भ्रुकुटी के मध्य त्रेनेत्रायम् घंटा दोनो नासिका !!
काली कपोलों की कर्ण, मूलों की माता शंकरी !
नासिका में अंश अपना, माँ सुगंधा तुम धरो !!
संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!
ऊपर वाणी के होठों की !
माँ चन्द्रकी अमृत करी !!
जीभा की माता सरस्वती !
दांतों की कुमारी सती !!
इस कठ की माँ चंदिका !
और चित्रघंटा घंटी की !!
कामाक्षी माँ ढ़ोढ़ी की !
माँ मंगला इस बनी की !!
ग्रीवा की भद्रकाली माँ !
रक्षा करे बलशाली माँ !!
दोनो भुजाओं की मेरे, रक्षा करे धनु धारनी !
दो हाथों के सब अंगों की, रक्षा करे जग तारनी !!
शुलेश्वरी, कुलेश्वरी, महादेवी शोक विनाशानी !
जंघा स्तनों और कन्धों की, रक्षा करे जग वासिनी !!
हृदय उदार और नाभि की, कटी भाग के सब अंग की !
गुम्हेश्वरी माँ पूतना, जग जननी श्यामा रंग की !!
घुटनों जन्घाओं की करे, रक्षा वो विंध्यवासिनी !
टकखनों व पावों की करे, रक्षा वो शिव की दासनी !!
रक्त मांस और हड्डियों से, जो बना शरीर !
आतों और पित वात में, भरा अग्न और नीर !!
बल बुद्धि अंहकार और, प्राण ओ पाप समान !
सत रज तम के गुणों में, फँसी है यह जान !!
धार अनेकों रुप ही, रक्षा करियो आन !
तेरी कृपा से ही माँ, चमन का है कल्याण !!
आयु यश और कीर्ति धन, सम्पति परिवार !
ब्रह्मणी और लक्ष्मी, पार्वती जग तार !!
विद्या दे माँ सरस्वती, सब सुखों की मूल !
दुष्टों से रक्षा करो, हाथ लिए त्रिशूल !!
भैरवी मेरी भार्या की, रक्षा करो हमेश !
मान राज दरबार में, देवें सदा नरेश !!
यात्रा में दुःख कोई न, मेरे सिर पर आये !
कवच तुम्हारा हर जगह, मेरी करे सहाए !!
है जग जननी कर दया, इतना दो वरदान !
लिखा तुम्हारा कवच यह, पढे जो निश्चय मान !!
मन वांछित फल पाए वो, मंगल मोड़ बसाए !
कवच तुम्हारा पढ़ते ही, नवनिधि घर मे आये !!
ब्रह्माजी बोले सुनो मार्कंड़य !
यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया !!
रहा आज तक था गुप्त भेद सारा !
जगत की भलाई को मैंने बताया !!
सभी शक्तियां जग की करके एकत्रित !
है मिट्टी की देह को इसे जो पहनाया !!
चमन जिसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो !
सुना तो भी मुह माँगा वरदान पाया !!
जो संसार में अपने मंगल को चाहे !
तो हरदम कवच यही गाता चला जा !!
बियाबान जंगल दिशाओं दशों में !
तू शक्ति की जय जय मनाता चला जा !!
तू जल में तू थल में तू अग्नि पवन में !
कवच पहन कर मुस्कुराता चला जा !!
निडर हो विचर मन जहाँ तेरा चाहे !
चमन पाव आगे बढ़ता चला जा !!
तेरा मान धन धान्य इससे बढेगा !
तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाए !!
यही मंत्र यन्त्र यही तंत्र तेरा !
यही तेरे सिर से हर संकट हटायें !!
यही भूत और प्रेत के भय का नाशक !
यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाये !!
इसे निसदिन श्रद्धा से पढ़ कर !
जो चाहे तो मुह माँगा वरदान पाए !!
इस स्तुति के पाठ से पहले कवच पढे !
कृपा से आधी भवानी की, बल और बुद्धि बढे !!
श्रद्धा से जपता रहे, जगदम्बे का नाम !
सुख भोगे संसार में, अंत मुक्ति सुखधाम !!
कृपा करो मातेश्वरी, बालक चमन नादाँ !
तेरे दर पर आ गिरा, करो मैया कल्याण !!
!! जय माता दी !!

Durga Devi Kavach Hindi PDF

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Filed Under: Religion

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